प्रकृति जब विकराल रूप लेती है तो जन -जीवन ऐसा ही बन जाता है। कोरोना त्रासदी में संस्थान का राहत कार्य परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं कोरोना त्रासदी के दौरान संस्थागत राहत कार्य, मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं गंगा की निर्मलता एवं अविरलता के लिए यह प्रयत्न आवश्यक